इंसानियत से बड़ा कोई धर्म कोई जाति नही होती

Credit : Third Party Image
वेल्लोर तमिलनाडु की पेशे से वकील स्नेहा ने साल 2010 में No-Caste, No-Religion (ना कोई जाति, ना कोई धर्म) के लिए आवेदन किया और 9 साल की जंग के बाद 5 फरवरी 2019 को बहुत ही मुश्किलों के बाद उन्हें यह सर्टिफिकेट मिला। अब स्नेहा पहली ऐसी शख्स या महिला बन गई हैं जिनके पास यह प्रमाणपत्र है।
● स्नेहा के माता-पिता भी बचपन से ही सभी सर्टिफिकेट में जाति और धर्म का कॉलम खाली छोड़ दिया करते थे।
● उनका कहना है कि उन्होंने हमेशा खुद को भारतीय माना है। कभी भी खुद को जाति-धर्म में नहीं बांधा। हालांकि, यह महसूस किया कि हर जगह एप्लिकेशन में सामुदायिक प्रमाण पत्र अनिवार्य होता है।
● एप्लिकेशन के लिए उन्हें आत्म-शपथ पत्र हासिल करना ही था। ताकि वो कागजों में प्रमाणित कर सके कि वो किसी जाति और धर्म से नहीं जुड़ी हुई हैं।
स्नेहा की इस पहल की हर तरफ तारीफ हो रही है। साउथ एक्टर कमल हसन ने भी उनकी कहानी ट्विटर पर शेयर कर सराहना की।
2 Comments
Nice one
ReplyDeleteसच मे ऐसा हुआ है
ReplyDeleteThankyou for your comment